प्रस्तावना -
अगर हम भारतीय सभ्यता की बात करे तो इसे विश्व की प्राचीनतम और सुव्यव्थित सभ्यता माना गया जो अपनी उच्च कोटी की पारिवारिक व सामाजिक व्यवस्था के लिए जाना जाता है। परिवार वह सबसे छोटी इकाई है, जहां एक समृद्ध राष्ट्र के सभी उत्पादन और कारक मौजूद रहते है। इस परिवार व्यवस्था के संचालन में नारी और पुरुष की समान भागीदारी और समान महत्व है। पुरुष परिवार को पोषण देता है, परंतु परिवार संचालन की वास्तविक जिम्मेदारी नारी के उपर ही है। जिसे सेवा ,त्याग, और करुणा की देवी कहा जाता है, परन्तु इस प्रकार की शास्त्रीय परिभाषाएं जो भी हो वास्तविकता कुछ और ही प्रतीत होती है।
पुरुष आज भी वही है। जो पहले था, प्रगति पथ पर निरंतर चलता हुआ। संघर्ष,शौर्य, पराक्रम, अहंकार, आदि गुणों से भरपूर ,अपने धुन में मस्त।
परन्तु आज के इस आधुनिक समाज में नारी की स्थिति क्या है,यह जानने कि कोशिश करेंगे तो निराशा ही हाथ लगेगी।
भारतीय समाज में महिलाओं से संबंधित कुछ तथ्य
(1) भारत की कुल जनसंख्या में से महिलाओं की संख्या - 48.5%, लिंगानुपात - 949:1000
(2) 0-6 वर्ष के बच्चों की कुल जनसंख्या में से लड़कियों का प्रतिशत - 47.8%
(3) उच्च शिक्षा में कुल नामांकन में महिलाओं का प्रतिशत - 45.5%
(4) Ph.D में कुल नामांकन में महिलाओं का प्रतिशत - 40.5%
उपरोक्त आंकड़े यह स्पष्ट करने के लिए पर्याप्त है, की भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति पुरुषों की तुलना में कम या निम्न है।
महिला सशक्तिकरण (Women Empowerment)
भौतिक या आध्यात्मिक , शारीरिक या मानसिक सभी स्तर पर महिलाओं में आत्मविश्वास पैदा कर उन्हे सशक्त बनाने कि प्रक्रिया।
सशक्तीकरण की प्रक्रिया में समाज को पारम्परिक पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण के प्रति जागरूक किया जाता है। जिसने महिलाओं की स्थिति को सदैव कमतर माना है।
महिला सशक्तिकरण को बेहद आसान। शब्दों में परिभाषित किया जाए तो इससे महिलाएं शक्तिशाली बनती है, जिससे वह अपने जीवन से जुड़े हर फैसले स्वयं के सकती है। समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिए उन्हें सक्षम बनाना महिला सशक्तीकरण है।
महिला सशक्तिकरण योजनाएं
किसी भी समाज के विकास का सीधा संबंध उस समाज की महिलाओं के विकास से जुड़ा होता है। महिलाओं के विकास के बिना व्यक्ति,परिवार और समाज के विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।
केंद्र सरकार और राज्य सरकारों ने भारत में महिलाओं के सशक्तीकरण और कल्याण(Welfare) के लिए कई योजनाएं बनाई है। वर्तमान में (लेख लिखते समय) केंद्र सरकार द्वारा महिलाओं के सशक्तीकरण और कल्याण के लिए देश भर में लगभग 147 योजनाएं चलाई जा रही है। जो समाज में सभी सामाजिक और आर्थिक वर्गो से आने वाली सभी आयु समूहों की महिलाओं को विभिन्न जरूरतों को पूरा करती है।
इसके अलावा राज्य सरकारों द्वारा लगभग 195 योजनाएं चलाई जा रही है। ये योजनाएं मुख्य रूप से महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य, देखभाल, स्वरोजगार और अन्य सभी क्षेत्रों में सशक्त बनाने के लिए चलाई जा रही है।
केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा महिलाओं के लिए चलाई जा रही सभी योजनाओं का प्रमुख लक्ष्य उन्हें सुरक्षा,बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं और पर्याप्त शिक्षा प्रदान करना है। ताकि उन्हें रोजगार योग्य बनाया जा सके और उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बनाया जा सके।
(1) बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम
शुरुआत - 22 जनवरी, 2015 को पानीपत हरियाणा से।
मंत्रालय - महिला और बाल विकास मत्रालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मत्रालय और शिक्षा मंत्रालय (जिसे पहले मानव संसाधन विकास मंत्रालय के नाम से जाना था) का संयुक्त उपक्रम।
उदेश्य - (1) बालिकाओं के अस्तित्व , सरक्षण और शिक्षा को बढावा देना।
(2) पक्षपाती लिंग चुनाव की प्रक्रिया का उन्मूलन।
(3) लड़कियों के गिरते लिंगानुपात के मुद्दे के प्रति लोगों को जागरूक करना।
(2) किशोरियों के सशक्तिकण के लिए राजीव गांधी योजना (सबला)
शुरुआत - 1 अप्रैल,2011
मंत्रालय - महिला एवं बाल विकास मत्रालय
उदेश्य - चुनिंदा 200 जिलों में -
(1) 11 से 18 आयु वर्ष की किशोरियों को पोषण ,आयरन एवम फोलिक एसिड प्रतिपूरक , स्वास्थ्य, जांच,तथा रेफरल सेवाएं, पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा तथा परिवार कल्याण पर परामर्श, ग्रह प्रबंधन आदि सुविधाएं प्रदान करके सशक्त बनाना।
(2) राष्ट्रीय कौशल विकास कार्यक्रम के अंतर्गत 16 वर्ष एवम उससे अधिक आयु की लड़कियों हेतु व्यावसायिक प्रशिक्षण।
यह स्कीम चुनिंदा 200 जिलों में " किशोरी शक्ति योजना (K.S.Y) तथा " किशोरियों हेतु पोषण कार्यक्रम" (N.P.A.G) की जगह लेंगी।
(3) प्रधानमंत्री उज्जवला योजना
शुरुआत - 1 मई ,2016
उदेश्य - (1) गरीब महिलाओं की सेहत की सुरक्षा के लिए मुक्त एल०पी०जी० गैस कनेक्शन देना।
(2) इस योजना के माध्यम से सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में खाना बनाने में इस्तेमाल होने वाले जीवाश्म ईधन की जगह एल०पी०जी० के उपयोग को बढावा देकर पर्यावरण को स्वच्छ रखने में महिलाओं की भूमिका को बढाना चाहती है।
(4) महिला मण्डल
महिला मण्डल नामक इस कार्यक्रम को आरम्भ बोर्ड द्वारा 1961-62 में ऐसे ग्रामीण क्षेत्रों में आरम्भ किया गया था। जहां महिलाओं और बच्चों के लिए कल्याण कार्यक्रम संचालन हेतु कोई भी स्वयं सेवी संगठन नहीं था।
महिला मंडलों का 75% प्रतिशत तक का व्यय केंद्रीय समाज कल्याण बोर्ड द्वारा वहन किया जाता है। शेष 25% तक का व्यय संगठन द्वारा अपने हिस्से के रूप में व्यय किया जाता है। एक विकेंद्रित कार्यक्रम होने के कारण महिला मंडलों से सम्बन्धित समस्त स्वीकृतियां एवम धनराशि देने की कार्यवाही संबंधित राज्य बोर्ड द्वारा की जाती है।
लेकिन प्रश्न यह है कि, जिन महिलाओं को ध्यान में रखकर इन योजनाओं का निर्माण किया गया है ,क्या उन्हे इनकी जानकारी है? सशक्तीकरण के प्रयासों के बारे में कितना जानती है। उक्त प्रश्नों के उत्तर की खोज में प्रस्तुत लेख की रूपरेखा का निर्माण किया गया है।